नित्त नेम कर प्रातः ही, पाठ करौं चालीसा। दुष्ट सकल नित मोहि सतावै । भ्रमत रहे मोहि चैन न आवै॥ त्राहि त्राहि मैं नाथ पुकारो। यहि अवसर मोहि आन उबारो॥ भाल चन्द्रमा सोहत नीके। कानन कुण्डल नागफनी के॥ त्रिपुरासुर सन युद्ध मचाई। सबहिं कृपा कर लीन बचाई॥ किया तपहिं भागीरथ https://jaibhole.co.in/home/Shree-Shiv-Chalisa